Golden Ramayana Ayodhya Ram Mandir : चेन्नई के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने अपने जीवन भर की कमाई से एक विशेष स्वर्ण जड़ित रामायण तैयार करवा कर प्रभु राम के चरणों में समर्पित की है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह रामायण कैसे बनाई गई और इसके पीछे की प्रेरणा क्या है।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन, अयोध्या स्थित राम मंदिर में एक ऐतिहासिक घटना घटी। चेन्नई के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने 1.5 क्विंटल सोने से बनी एक विशेष स्वर्ण जड़ित रामायण प्रभु राम के चरणों में समर्पित की। इस रामायण को बनाने में 5 करोड़ रुपये की लागत आई है और यह अपने आप में एक अद्भुत कलाकृति है।
अयोध्या में स्थापित हुई स्वर्ण रामायण
अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम को समर्पित एक अद्भुत और भव्य स्वर्ण रामायण स्थापित की गई है। यह रामायण 1.5 क्विंटल वजनी है और इसे बनाने में 151 किलो तांबे और 3-4 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ है। रामायण के 500 पृष्ठों पर रामचरितमानस के 10,902 छंद लिखे गए हैं। इस अनोखी रामायण को चेन्नई के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने रामलला को भेंट स्वरूप दिया है।
इस रामायण को चैत्र नवरात्रि के पहले दिन राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति के पास स्थापित किया गया है। मंदिर के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि स्वर्ण रामायण को गर्भगृह में राम लला के पास स्थापित किया गया है। राम मंदिर में अब राम भक्त दर्शन पूजन के साथ-साथ सोने की अनोखी रामायण के भी दर्शन कर सकेंगे।
स्वर्ण रामायण की विशेषताएं
- वजन: 1.5 क्विंटल
- उपयोग की गई धातु: 151 किलो तांबा और 3-4 किलो सोना
- पृष्ठों की संख्या: 500
- छंदों की संख्या: 10,902
- ग्रंथ: रामचरितमानस
- दानकर्ता: सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन (चेन्नई के पूर्व आईएएस अधिकारी)
- स्थापना तिथि: चैत्र नवरात्रि, 2024
किसने किया सोने की रामायण का निर्माण
लक्ष्मीनारायणन ने सोने की रामायण का निर्माण चेन्नई के प्रसिद्ध बूममंडी बंगारू ज्वेलर्स से करवाया। इस रामायण के निर्माण में 5 साल का समय लगा और इसमें 1.5 क्विंटल सोना इस्तेमाल किया गया। रामायण के पन्ने तांबे के हैं और उन पर सोने के अक्षरों से रामायण की चौपाइयां लिखी गई हैं। इस रामायण की लागत लगभग 5 करोड़ रुपये है। लक्ष्मीनारायणन ने यह रामायण चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अयोध्या के रामलला को समर्पित की।
कौन हैं सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन?
सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन 1970 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। वे मध्य प्रदेश कैडर के थे और उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल और उनके उत्तराधिकारी स्वामी जयेंद्र सरस्वती के शिष्य रहे हैं।
सोने की रामायण बनाने का विचार
चेन्नई के रहने वाले पूर्व आईएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन एक गहरे धार्मिक व्यक्ति हैं और भगवान राम के प्रति अत्यंत श्रद्धा रखते हैं। उन्होंने हमेशा से ही रामलला को कुछ ना कुछ अनोखा भेंट करने की इच्छा रखी थी। कई वर्षों के बाद, उन्हें सोने की रामायण बनाने का विचार आया। उन्होंने इस विचार को अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा किया, जिन्होंने उनका पूरा समर्थन किया।
लक्ष्मीनारायणन ने अपने जीवन भर की कमाई रामलला को समर्पित करने का फैसला किया और इस स्वर्ण रामायण का निर्माण करवाया। उन्होंने यह रामायण भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का प्रतीक के रूप में दान किया है। उनका का कहना है कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा सपना था और उन्हें खुशी है कि उन्होंने इसे पूरा कर लिया है।
निष्कर्ष:
सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन द्वारा भगवान राम को समर्पित सोने की रामायण भक्ति और समर्पण का एक अद्भुत उदाहरण है। यह रामायण निश्चित रूप से राम मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी।
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