Mahashivratri 2024 Puja Vidhi : इस बार 8 मार्च को मनाया जाएगा महाशिवरात्रि का पर्व। जानिए शिवलिंग पर किन चीजों को चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और किन चीजों को चढ़ाने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं।
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह भगवान शिव की आराधना का पर्व है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन, भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और व्रत करते हैं। महाशिवरात्रि 2024 8 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तों को शिवलिंग पर कुछ विशेष चीजें चढ़ानी चाहिए। लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें शिवलिंग पर भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
इस लेख में, हम आपको 7 चीजों के बारे में बताएंगे जो आपको शिवलिंग पर भूलकर भी नहीं चढ़ानी चाहिए।
केतकी का फूल: केतकी का फूल क्यों नहीं चढ़ता शिवलिंग पर?
कहा जाता है कि ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव के सामने झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद केतकी का फूल और ब्रह्माजी भगवान शिव के सामने पहुंचे। ब्रह्माजी ने भगवान शिव से कहा कि उन्हें ज्योतिर्लिंग की शुरुआत मिल गई है और केतकी के फूल से भी झूठी गवाही दिलवा दी।
भगवान शिव को पहले से ही ब्रह्माजी का झूठ बोलने का पता था। जब उन्होंने केतकी से पूछा तो उसने भी ब्रह्माजी की बात का समर्थन किया। इस पर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने केतकी को श्राप दिया कि तुमने मेरे सामने झूठ बोला है, इसलिए अब तुम कभी भी मेरी पूजा में इस्तेमाल नहीं हो पाओगी।
तभी से केतकी का फूल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता है।
तुलसी पत्र : शिवलिंग पर तुलसी पत्र क्यों नहीं चढ़ाते?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने देवी तुलसी के पति, असुर जालंधर का वध किया था। जालंधर अत्यंत शक्तिशाली था और उसे वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु केवल उसी की पत्नी तुलसी के पतिव्रता धर्म के भंग होने पर ही होगी।
जालंधर युद्ध में भगवान शिव से परास्त होने लगा। तब, भगवान शिव ने जालंधर का रूप धारण कर देवी तुलसी को छल से स्पर्श कर दिया। इससे जालंधर का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया। यह जानकर देवी तुलसी अत्यंत क्रोधित हुईं और उन्होंने भगवान शिव को श्राप दिया कि उन्हें कभी भी तुलसी के पत्तों से वंचित रहना होगा।
इस श्राप के कारण, भगवान शिव की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग वर्जित माना जाता है।
हल्दी : शिवलिंग पर हल्दी क्यों नहीं चढ़ाते?
हिन्दू धर्म में, मान्यताओं के अनुसार हल्दी को स्त्रीत्व का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग, भगवान शिव का प्रतीक है, जो पुरुषत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।स्त्रीत्व और पुरुषत्व का मिलन विवाह का प्रतीक है। भगवान शिव पहले से ही देवी पार्वती से विवाहित हैं।
ये भी मान्यता है कि हल्दी की तासीर हल्दी की तासीर गर्म होती है। इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। शिव को ठंडी वस्तुएं प्रिय हैं, जैसे कि बेलपत्र, भांग, गंगाजल, चंदन, और कच्चा दूध। एक मान्यता के अनुसार, हल्दी का प्रयोग शिव तपस्या में बाधक माना जाता है।
शंखजल से अभिषेक : शिवलिंग पर शंखजल से अभिषेक क्यों नहीं करें?
शिवपुराण के अनुसार, शंखचूड़ नामक एक महापराक्रमी दैत्य था। उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा और विष्णु से अनेक वरदान प्राप्त किए। वरदानों के बल पर उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने युद्ध में शंखचूड़ का वध कर दिया। शंखचूड़ का शरीर भस्म हो गया और उस भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई।
मान्यता है कि शंखचूड़ भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए, शंख में विष्णु का वास माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, लेकिन शंखजल से अभिषेक करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
नारियल पानी न चढ़ाएं : शिवलिंग पर नारियल पानी क्यों नहीं चढ़ाते?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आप शिवलिंग पर नारियल अर्पित कर सकते हैं, लेकिन नारियल पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं। इसे ‘श्रीफल’ भी कहा जाता है और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है।
इसलिए, भगवान शिव की पूजा में इसका उपयोग नहीं किया जाता है।
शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित : शिवलिंग पर सिंदूर क्यों नहीं चढ़ाते?
शिवलिंग पर सिंदूर चढ़ाना वर्जित माना जाता है। भगवान शिव को कभी भी श्रृंगार का सामान नहीं चढ़ाना चाहिए, खासतौर पर सिंदूर और कुमकुम। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं, जबकि भगवान शिव संहारक रूप में भी पूजे जाते हैं।
इसके अलावा, भगवान शिव को वैरागी माना जाता है, जो सांसारिक सुखों से दूर रहते हैं। इसलिए, उन्हें सिंदूर जैसे श्रृंगार का सामान चढ़ाना अशुभ माना जाता है।
इसके विपरीत, मां पार्वती को सिंदूर अर्पित किया जाता है क्योंकि यह स्त्रीत्व और सौभाग्य का प्रतीक है।
टूटे हुए चावल : शिवलिंग पर टूटे हुए चावल क्यों नहीं चढ़ाते?
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव को टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं। टूटे हुए चावल को अपूर्ण और अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इसे भगवान शिव को चढ़ाना अशुभ माना जाता है। यह मान्यता है कि टूटे हुए चावल नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं, जो भगवान शिव की पूजा के दौरान बाधा डाल सकती है। भगवान शिव को पूर्ण और शुद्ध भोग चढ़ाना चाहिए, इसलिए उन्हें टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाए जाते हैं।
इसके अलावा, टूटे हुए चावल को विपत्ति और दुर्भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए, भगवान शिव को हमेशा पूर्ण और अखंड चावल चढ़ाए जाते हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शुभता का प्रतीक हैं।
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शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली शुभ वस्तुएं
शिवलिंग पर कई तरह की शुभ वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं, जिनका भगवान शिव को विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इन वस्तुओं के बारे में:
- जल: सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण है जल। शिवलिंग पर हमेशा स्वच्छ और निर्मल जल चढ़ाना चाहिए। जल पवित्रता का प्रतीक है और भगवान शिव का अभिषेक जल से ही किया जाता है।
- दूध, दही और घी: ये तीनों सत्विक पदार्थ हैं, जो भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। दूध शांति और पवित्रता का प्रतीक है, दही जीवन में सुख-समृद्धि लाता है, और घी से अभिषेक करने से बुद्धि और तेज की प्राप्ति होती है।
- शक्कर और शहद: ये दोनों मिठास का प्रतीक हैं और माना जाता है कि इनसे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शक्कर जीवन में मधुरता लाता है और शहद से अभिषेक करने से कष्ट दूर होते हैं।
- भांग: भांग भगवान शिव को बहुत प्रिय है। हालाँकि, कई जगहों पर भांग का सेवन वर्जित है, इसलिए आप सिर्फ सांकेतिक रूप से थोड़ा सा भांग चढ़ा सकते हैं।
- पुष्प: भगवान शिव को सुगंधित फूल पसंद हैं। आप बेलपत्र, धतूरा, जूही, चंपा, गुलाब आदि फूल चढ़ा सकते हैं।
- धतूरा: धतूरा का फल और फूल भगवान शिव को प्रिय माना जाता है, लेकिन ध्यान रहे कि धतूरा जहरीला होता है, इसलिए इसे सावधानी से चढ़ाएं और बच्चों को दूर रखें।
- चंदन: चंदन का लेप शिवलिंग पर करना बहुत शुभ माना जाता है। चंदन शीतलता का प्रतीक है और भगवान शिव को प्रसन्न करता है।
- फल: आप भगवान शिव को मौसमी फल भी चढ़ा सकते हैं। आम, सेब, मौसंबी आदि शुभ फल माने जाते हैं।
इन वस्तुओं को चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वे साफ-सुथरी हों। पूजा करते समय श्रद्धा और भक्ति भाव रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:
महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजों का विशेष महत्व होता है। कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें भगवान शिव को चढ़ाने से वे नाराज हो सकते हैं। इसलिए, महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं और क्या न चढ़ाएं, यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है।
तो दोस्तों, यह थी Mahashivratri 2024 से संबंधित पूरी जानकारी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। ऐसे ही खबरे पढ़ने के लिए niralatimes.com के साथ जुड़े रहे।
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