Ram Mandir Pran Pratishtha: आंखों पर पट्टी बांधकर क्यों करते हैं प्राण प्रतिष्ठा? जानिए पूरा रहस्य

Nirala Times - News Desk
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Ram Mandir Pran Pratishtha - Pran Pratishtha Kya Hoti Hai
Highlights
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह एक आवश्यक अनुष्ठान है जो मूर्ति में शक्ति और ऊर्जा को स्थापित करने में मदद करता है।
  • ऐसा करने से मूर्ति में एक तेज पुंज स्थापित हो जाता है।
  • वस्त्र खोलने के बाद मूर्ति की आंखों से अदृश्य तेज या ऊर्जा का उत्पन्न होता है।
  • यह ऊर्जा काफी तेज गति से निकलती है, जो व्यक्ति के सामने आने पर हानिकारक हो सकती है।

Ram Mandir Pran Pratishtha : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को होने वाला है। इस दौरान भगवान राम की मूर्ति की आंखों पर वस्त्र बांधा जाएगा। इस लेख में हम आपको प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधने के पीछे के रहस्य (Pran Pratishtha Fact) और प्राण प्रतिष्ठा के महत्व, प्रक्रिया और मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधने के पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक कारणों के बारे में बताएंगे।

Pran Pratishtha Meaning : प्राण प्रतिष्ठा क्या है?

प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है जिसमें मूर्ति में भगवान का अंश स्थापित किया जाता है। यह एक पवित्र और शक्तिशाली अनुष्ठान है जो मूर्ति को एक वास्तविक देवता में बदल देता है। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है। यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे कई कारणों से किया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा का धार्मिक कारण (Pran Pratishtha Religious Reasons)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति की आंखों पर वस्त्र बांधना बहुत जरूरी होता है। इस दौरान पंडितों द्वारा शक्तिशाली मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और प्राण प्रतिष्ठा के समय उस मूर्ति के कई अधिवास किया जाता है। ऐसा करने से मूर्ति में एक तेज पुंज स्थापित हो जाती है।

इस तेज पुंज को “आत्मा” या “प्राण” कहा जाता है। यह एक अदृश्य ऊर्जा है जो मूर्ति को जीवन प्रदान करती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब मूर्ति की आंखों पर से वस्त्र खोला जाता है, तो यह तेज पुंज मूर्ति की आंखों से बाहर निकलती है।

हालांकि, यह तेज पुंज इतनी तेज होती है कि यह व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए जब भी मूर्ति की आंखों से वस्त्र खोला जाता है, तो सामने शीशा लगा दिया जाता है। शीशा इस तेज पुंज को अवशोषित कर लेता है और इसे व्यक्ति के लिए नुकसानदायक नहीं होने देता।

वैज्ञानिक कारण (Pran Pratishtha Scientific Reasons)

वैज्ञानिक रूप से, आंखें शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है। वे प्रकाश और छवियों को ग्रहण करने के लिए जिम्मेदार हैं। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान, मूर्ति में एक शक्तिशाली ऊर्जा का संचार किया जाता है। यह ऊर्जा इतनी शक्तिशाली होती है कि यह आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए, मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें इस ऊर्जा से बचाया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया (Prana Pratistha Process)

प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया बहुत ही जटिल और महत्वपूर्ण होती है। इस प्रक्रिया में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  1. शुद्धिकरण: सबसे पहले मूर्ति को शुद्ध किया जाता है। इसके लिए उसे स्नान कराया जाता है और पवित्र जल से अभिषेक किया जाता है।
  2. मंत्र उच्चारण: इसके बाद मूर्ति पर शक्तिशाली मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों से मूर्ति में देवता का आह्वान किया जाता है।
  3. अधिवास: इसके बाद मूर्ति में देवता का अंश स्थापित किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण होती है।
  4. आंखों पर वस्त्र बांधना: अधिवास के बाद मूर्ति की आंखों पर वस्त्र बांध दिया जाता है।
  5. प्राण प्रतिष्ठा का समापन: अंत में, प्राण प्रतिष्ठा का समापन किया जाता है।

प्राण प्रतिष्ठा के लाभ (Prana Pratistha Benefits)

प्राण प्रतिष्ठा के कई लाभ हैं। यह मूर्ति को जीवन प्रदान करती है और उसे पवित्र बनाती है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति में देवता का वास होता है और वह लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

निष्कर्ष:

प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस अनुष्ठान के दौरान मूर्ति की आंखों पर वस्त्र बांधने की परंपरा है। इसका कारण यह है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति की आंखों से एक तेज पुंज निकलती है जो व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए शीशे का इस्तेमाल करके इस तेज पुंज को अवशोषित कर लिया जाता है।

Prana Pratistha से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर (FAQs)

  • प्राण प्रतिष्ठा क्या है?

प्राण प्रतिष्ठा एक पवित्र अनुष्ठान है जिसमें मूर्ति में देवता का अंश स्थापित किया जाता है।

  • प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति की आंखों पर वस्त्र क्यों बांधा जाता है?

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति की आंखों पर वस्त्र बांधने के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि इससे मूर्ति में मौजूद तेज पुंज मजबूत होता है। दूसरा कारण यह है कि मूर्ति को एक नवजात शिशु के रूप में देखा जाता है और जैसे एक नवजात शिशु की आंखें खुलने में कुछ समय लगता है, वैसे ही मूर्ति की आंखों को भी कुछ समय के लिए बंद रखा जाता है।

  • प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति की आंखों पर से पट्टी कब हटाई जाती है?

प्राण प्रतिष्ठा के बाद, मूर्ति की आंखों पर से पट्टी उसी दिन शाम को हटाई जाती है।

  • प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति की आंखों पर से पट्टी हटाते समय क्या करना चाहिए?

प्राण प्रतिष्ठा के बाद, मूर्ति की आंखों पर से पट्टी हटाते समय शीशे का उपयोग करना चाहिए। शीशे के सामने रखकर पट्टी को हटाने से मूर्ति की आंखों से निकलने वाली ऊर्जा को शीशे से परावर्तित किया जा सकता है।

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