Electoral Bonds Case: SBI को नोटिस, चुनावी बॉन्ड डेटा में गड़बड़ी! क्या राज छिपाना चाह रहा है SBI?

Akshara Singh - Content Writer
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SBI Electoral Bonds Case News
Highlights
  • सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए एसबीआई को फटकार लगाई
  • CJI ने कहा कि डेटा में बॉन्ड नंबर शामिल न होना "गंभीर चिंता" का विषय है
  • चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने राजनीतिक दलों से मिले साल 2019 से पहले के चंदे की जानकारी सीलबंद लिफाफे में दी थी
  • चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से 11 मार्च को पारित आदेश में संशोधन की मांग की है
  • अगली सुनवाई सोमवार (18 मार्च) को होगी

SBI Electoral Bonds Case : सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा में बॉन्ड नंबर न होने पर SBI को फटकार लगाई और नोटिस जारी किया। जानिए चुनाव आयोग ने क्या जानकारी दी और अगली सुनवाई कब होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (15 मार्च, 2024) को इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा साझा नहीं करने पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने SBI को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा। CJI ने पूछा कि चुनाव आयोग को दिए गए डेटा में बॉन्ड नंबर क्यों नहीं है? इलेक्टोरल बॉन्ड पर पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को कड़ी फटकार लगाई। अगली सुनवाई सोमवार (18 मार्च) को होगी।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों से लिए साल 2019 से पहले के चंदे की जानकारी उसने सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में दे दी थी। उसने इसकी कॉपी नहीं रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि उसे चुनाव आयोग को लौटा दिया जाएगा। उससे पहले उसे स्कैन कर डिजिटल कॉपी सुप्रीम कोर्ट पास रखेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने इस योजना को रद्द करते हुए एसबीआई को पिछले 5 वर्षों में किए गए दान पर सभी डिटेल शेयर करने का निर्देश दिया था। फटकार के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को बॉन्ड की विशिष्ट संख्या का खुलासा करने के सवाल पर नोटिस जारी करते हुए उसके पास संग्रहीत इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा को चुनाव आयोग के पास वापस करने की अनुमति दी।

चुनाव आयोग ने क्या अर्जी दी?

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से 11 मार्च 2024 को पारित आदेश में संशोधन की मांग की थी। इसमें आदेश के ऑपरेटिव हिस्से में कुछ स्पष्टीकरण या संशोधन की मांग की गई है। अगली सुनवाई सोमवार (18 मार्च) को होगी।

किन कंपनियों ने लिए इलेक्टोरल बॉन्ड?

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राजनीतिक दलों को मदद के नाम पर सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड जिन कंपनियों ने खरीदे हैं उनमें ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स व वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं।

इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार (18 मार्च) को होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग की अर्जी पर क्या फैसला सुनाता है।

निष्कर्ष:

चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई जारी है और अगली सुनवाई सोमवार (18 मार्च) को होगी। यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।

तो दोस्तों, यह थी Electoral Bonds Case से संबंधित जानकारी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। ऐसे ही खबरे पढ़ने के लिए niralatimes। com के साथ जुड़े रहे।

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अक्षरा सिंह एक भारतीय Content Writer और Creator हैं। वे Nirala Times के लिए काम करती हैं, जहाँ वे बिज़नेस और फाइनेंस और टेक्नोलॉजी से सम्बंधित ताज़ा खबरें लिखती हैं। उनकी लेखन शैली सरल और समझने में आसान है, और वे हमेशा अपने पाठकों को नवीनतम जानकारी प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं।
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