Shani Jayanti 2024: शनि जयंती (शनि अमावस्या) पर शनि देव को प्रसन्न करने के लिए विधि अनुसार पूजा और कथा का पाठ करना चाहिए। शनि के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए यह दिन बहुत खास होता है। आइए जानें शनि जयंती 2024 पर कैसे करें पूजा और कथा का महत्व।
शनि जयंती का महत्व (Significance of Shani Jayanti)
शनि जयंती, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाती है। जो इस साल 6 जून को मनाई जाएगी। यह दिन शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह विशेष दिन भगवान शनि की पूजा के लिए समर्पित होता है, जिन्हें कर्मफलदाता और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करने से शनि की महादशा और साढ़ेसाती के कष्टों से मुक्ति मिलती है। जो लोग शनि देव का पूजन करते हैं, उन्हें शनि के प्रकोप से बचाव होता है और जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
शनि जयंती 2024 की तिथि (Shani Jayanti 2024 Date)
इस साल शनि जयंती 6 जून 2024 को मनाई जाएगी। इस पवित्र दिन पर शनि देव की पूजा और व्रत रखने से शुभ फल प्राप्त होता है। शनि जयंती पर शनि के जन्म की कथा का श्रवण करना चाहिए, जिससे व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति मिलती है।
Shani Amavasya 2024: शनिदेव का महत्व और पूजा का महत्व
शनि देव को कर्म के अनुसार फल देने वाला देवता माना जाता है। वे शनिवार और शनि ग्रह के देवता हैं। उनके नकारात्मक प्रभावों के डर से लोग उनकी पूजा करते हैं। परंतु, यह भी मान्यता है कि शनि देव केवल उन्हीं को आशीर्वाद देते हैं जो कठिन परिश्रम, आत्मसंयम और सच्चाई से जीवन यापन करते हैं। शनि जयंती, जिसे शनि अमावस्या (Shani Amavasya) भी कहा जाता है, इस साल 6 जून 2024 को मनाई जाएगी।
शनि जयंती की पूजा विधि (Shani Jayanti 2024 Puja Vidhi)
सुबह की पूजा विधि (Shani Jayanti 2024 Puja Vidhi – Morning)
- हनुमान जी की पूजा: शनि जयंती की सुबह, हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान जी को प्रसन्न करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
- व्रत: इस दिन व्रत रखें और शनि देव का स्मरण करें।
शाम की पूजा विधि (Shani Jayanti 2024 Puja Vidhi – Evening)
- शनि मंदिर में पूजा: शाम को शनि मंदिर जाएं और तिल, उड़द, काली मिर्च, सरसों का तेल, और लौंग शनि देव को अर्पित करें।
- दान: ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे लोहा, काला तिल, जामुन, काले जूते, और तेल का दान करें।
- दीपक जलाना: पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ करें।
शनिदेव मंत्र (Shani Mantra)
यहाँ शनि देव के कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं, जिन्हें जाप करने से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है:
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शनि बीज मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
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शनि गायत्री मंत्र:
ॐ सूर्य पुत्राय विद्महे
महाकाय धीमहि
तन्नो मन्दः प्रचोदयात्।
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शनि स्तोत्र:
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
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शनि देव का मूल मंत्र:
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
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शनि चालीसा:
जय जय श्री शनिदेव दयाला।
करै कृपा तुम दीन जन पर, हो कृपाल तुम पालन हारा॥
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शनि ग्रह मंत्र:
ॐ ह्रिं नीलांजनाय नमः।
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शनि पौराणिक मंत्र:
काकोली के कटाक्षों में, शुभ्र चन्द्रवदने,
ज्येष्ठपुत्र नमः स्तोत्रे, रावणी सर्पिनामके॥
इन मंत्रों का नियमित जाप करने से शनि देव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और बाधाएँ दूर होती हैं। मंत्र जाप के समय ध्यान रखें कि इसे पूरी श्रद्धा और सच्ची भावना के साथ करें।
शनि जयंती की कथा (Shani Jayanti Katha)
शनि देव का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया (संवर्णा) के पुत्र के रूप में हुआ था। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। संज्ञा और सूर्य देव के तीन संतानें हुईं: मनु, यम, और यमुना। संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं, इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य की सेवा में छोड़ दिया और स्वयं वहां से चली गईं।
छाया और सूर्य देव के मिलन से शनि देव और भद्रा का जन्म हुआ। शनि देव का जन्म श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों और बड़े केशों वाले स्वरूप में हुआ। जब सूर्य देव ने शनि देव को देखा, तो उन्होंने उन्हें स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इससे क्रोधित होकर शनि ने सूर्य पर अशुभ दृष्टि डाली, जिससे सूर्य देव काले हो गए। तभी से शनि और सूर्य एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं।
आइए इस अवसर पर भारत के 5 प्रमुख शनि मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं, जहां जीवन में एक बार दर्शन करना अति शुभ माना जाता है।
भारत के प्रमुख शनि मंदिर
1. शनिश्वर भगवान मंदिर, तमिलनाडु
स्थान: तिरुनल्लार
विशेषता: यह मंदिर भारत के प्रमुख नवग्रह मंदिरों में से एक है।
महत्व: मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में भगवान शनि की पूजा करने से शनि दोष, दुर्भाग्य और विपत्तियों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
अनुभव: मंदिर परिसर में शनि देव ने भगवान शिव के सामने अपनी शक्तियां खो दी थीं। भक्तों का मानना है कि नलन तीर्थ के पवित्र सरोवर में स्नान करने से पिछले कर्मों के कारण होने वाले दुर्भाग्य और कष्टों को दूर किया जा सकता है।
2. येरदनूर शनि मंदिर, तेलंगाना
स्थान: मेदक जिला
विशेषता: यहां भगवान शनि की 20 फीट ऊंची काले रंग की विशाल मूर्ति स्थापित है।
महत्व: लोग अपनी जन्मपत्री में शनि के नकारात्मक प्रभावों से राहत पाने की आशा में इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
अनुभव: यहां सबसे अधिक प्रचलित रीतियों में से एक है सरसों या तिल के तेल से दीप जलाना।
3. शनि महात्मा मंदिर, कर्नाटक
स्थान: चिक्का मड्डूर जिला
विशेषता: इस मंदिर का निर्माण एक स्थानीय किसान ने करवाया था।
महत्व: मंदिर में भगवान की पूजा करने या उनके लिए विशेष पूजा करने से पंचम या अष्टम शनि के हानिकारक प्रभावों को कम या खत्म किया जा सकता है।
अनुभव: मंदिर के सामने, चूल्हे में भक्त तिल के तेल में भिगोए हुए काले कपड़े के छोटे टुकड़े में बंधे काले तिल डालते हैं।
4. शनि शिंगणापुर, महाराष्ट्र
स्थान: नेवासा तालुका
विशेषता: यह मंदिर अपनी अनोखी बनावट के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें न तो छत है और न ही दीवारें।
महत्व: यहां शनि देव को पांच फुट ऊंचे काले पत्थर के रूप में दर्शाया गया है, जो एक चबूतरे पर स्थापित है जिसे सोनई के नाम से जाना जाता है।
अनुभव: मान्यता है कि स्थानीय लोगों को नदी में बहता हुआ एक काला पत्थर मिला था, जिससे खून निकल रहा था। इसे शनि देव का प्रतीक माना जाता है।
5. शनि धाम मंदिर, दिल्ली
स्थान: दिल्ली
विशेषता: इस मंदिर में प्राकृतिक चट्टान से तराशी गई शनि देव की 21 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है।
महत्व: यह दुनिया की सबसे ऊंची शनि देव की मूर्ति मानी जाती है।
अनुभव: भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में शनि देव की पूजा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों को पार करने में मदद मिलती है।
निष्कर्ष
शनि जयंती पर शनि देव की पूजा करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। शनि देव का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करना चाहिए। शनि जयंती पर शनि के जन्म की कथा सुनने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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Shani Jayanti 2024 से सम्बंधित प्रश्न (FAQs)
- शनि जयंती क्या है?
शनि जयंती भगवान शनि के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है और यह दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है।
- शनि जयंती 2024 कब है?
शनि जयंती 2024 में 6 जून को मनाई जाएगी।
- शनि जयंती कब मनाई जाती है?
शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है, जो इस साल 6 जून 2024 को है।
- शनि देव कौन हैं?
शनि देव को न्याय और कर्मफलदाता के रूप में जाना जाता है। वे शनि ग्रह और शनिवार के देवता हैं।
- शनि देव की पूजा क्यों की जाती है?
शनि देव की पूजा उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए की जाती है।
- शनि जयंती पर क्या विशेष करना चाहिए?
इस दिन शनि देव की पूजा, व्रत और शनि जन्म की कथा का श्रवण करना चाहिए।
- शनि देव की पूजा कैसे करें?
सुबह हनुमान जी की पूजा करें और शाम को शनि मंदिर में तिल, उड़द, काली मिर्च, सरसों का तेल और लौंग अर्पित करें। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ करें।
- शनि देव की कृपा कैसे प्राप्त करें?
शनि देव की कृपा पाने के लिए उनकी विधिपूर्वक पूजा करें, व्रत रखें और शनि जन्म की कथा का श्रवण करें।
- शनि शिंगणापुर मंदिर की विशेषता क्या है?
शनि शिंगणापुर मंदिर अपनी अनोखी बनावट के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें न तो छत है और न ही दीवारें।
- शनि महात्मा मंदिर, कर्नाटक की प्रमुख रीति क्या है?
यहां के भक्त तिल के तेल में भिगोए हुए काले कपड़े के छोटे टुकड़े में बंधे काले तिल को चूल्हे में डालते हैं।
- शनि जयंती क्या है? शनि जयंती शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है, जो ज्येष्ठ अमावस्या के दिन होती है।
- शनि जयंती 2024 में 6 जून को मनाई जाएगी।
- शनि जयंती पर क्या विशेष करना चाहिए? इस दिन शनि देव की पूजा, व्रत और शनि जन्म की कथा का श्रवण करना चाहिए।
- शनि देव की पूजा कैसे करें? सुबह हनुमान जी की पूजा करें और शाम को शनि मंदिर में तिल, उड़द, काली मिर्च, सरसों का तेल और लौंग अर्पित करें। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ करें।
- शनि जयंती की कथा क्या है? शनि जयंती की कथा शनि देव के जन्म और उनके पिता सूर्य देव से संबंधित है। यह कथा शनि देव और सूर्य देव के संबंधों को बताती है।
- शनि देव की कृपा कैसे प्राप्त करें? शनि देव की कृपा पाने के लिए उनकी विधिपूर्वक पूजा करें, व्रत रखें और शनि जन्म की कथा का श्रवण करें।