Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति क्यों मनाई जाती हैं? जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Nirala Times - News Desk
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Makar Sankranti 2024
Highlights
  • मकर संक्रांति 15 जनवरी, 2024 को मनाई जाएगी।
  • सूर्य के उत्तरायण होने पर खरमास समाप्त हो जाएगा और सारे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
  • इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है।

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति का धार्मिक, वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक महत्व है। इस लेख में हम मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) के बारे में विस्तार से जानेंगे।

मकर संक्रांति क्या है?

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह दिन सूर्य देव के धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करने का दिन होता है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को उत्तरायण का आरंभ भी माना जाता है।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन गंगा स्नान, सूर्य की उपासना और दान-पुण्य करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन तिल का बहुत महत्व है। कहते हैं कि तिल मिश्रित जल से स्नान करने और तिल का तेल लगाने से पापों का नाश होता है और पुण्य फल मिलता है।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का भी बहुत महत्व है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगता है। इससे दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। यह वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी है।

मकर संक्रांति का आयुर्वेदिक महत्व

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का आयुर्वेदिक महत्व भी है। इस दिन तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन किया जाता है। तिल और गुड़ स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। तिल में कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुड़ में विटामिन और खनिज होते हैं।

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मकर संक्रांति पर्व पर की जाने वाली प्रमुख क्रियाएं

Makar Sankranti 2024 Upay (1)

गंगा स्नान: मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग सुबह-सुबह नदी, समुद्र या अन्य जलाशयों में जाकर स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

Makar Sankranti 2024 Upay (6)

दान: मकर संक्रांति के दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को तिल, गुड़, कंबल, वस्त्र आदि का दान करते हैं। मान्यता है कि दान करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है।

Makar Sankranti 2024 Upay (2)

पूजा-पाठ: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और उनकी आरती करते हैं। मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और उन्नति होती है।

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक कथा

  • मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। एक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इस दिन सूर्य देव शनिदेव के घर जाते हैं और उनसे मिलने के बाद उत्तरायण होते हैं।
  • एक अन्य कथा के अनुसार, गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। यह घटना मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन ही हुई थी। इसलिए इस दिन गंगा सागर में स्नान करने का विशेष महत्व है।
  • महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का ही चयन किया था।
  • मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर तिल और गुड़ का विशेष महत्व है। एक कथा के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण बहुत गरीब था। वह अपने परिवार का पालन-पोषण करने में असमर्थ था। एक दिन, उसे एक ऋषि ने सलाह दी कि वह मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन तिल और गुड़ का दान करे। ब्राह्मण ने ऋषि की सलाह मानी और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन तिल और गुड़ का दान किया। दान करने के बाद, ब्राह्मण के घर में धन-धान्य की कमी नहीं रही।

इस प्रकार, मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। ये कथाएं इस त्योहार के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देती हैं।

मकर संक्रांति 2024 का शुभ मुहूर्त

  • तिथि: 15 जनवरी, 2024
  • दिन: सोमवार
  • सूर्योदय: 07:06 AM
  • सूर्यास्त: 05:57 PM
  • पुण्यकाल: सुबह 07:15 AM से शाम 06:21 PM
  • महापुण्यकाल: सुबह 07:15 AM से सुबह 09:06 AM

मकर संक्रांति पूजा विधि

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति को उत्तरायण का आरंभ भी माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

मकर संक्रांति पूजा सामग्री

  • तांबे का लोटा
  • लाल फूल
  • लाल चंदन
  • अक्षत
  • धूप
  • दीप
  • काले तिल
  • शंख
  • फल
  • सुहाग का सामान

मकर संक्रांति पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • अपने घर या मंदिर में सूर्य भगवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • तांबे के लोटे में जल भरें और उसमें लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत, धूप और दीप रखें।
  • लोटे में काले तिल भी डालें।
  • हाथ में जल लेकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
  • सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करें।
  • सूर्य चालीसा या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • सूर्य भगवान की आरती करें।
  • दान-पुण्य करें।

मकर संक्रांति पूजा मंत्र

  • सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय: ॐ सूर्याय नम
  • सूर्य भगवान के के सभी नामों का जाप करें
  • सूर्य चालीसा का पाठ करें
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें 

अलग-अलग राज्यों में मकर संक्रांति

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व भारत के सभी राज्यों में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। कुछ प्रमुख राज्यों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) की रीति-रिवाज इस प्रकार हैं:

  • पंजाब: पंजाब में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को माघी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह-सुबह नदी में स्नान करते हैं और तिल के तेल का दीपक जलाते हैं। शाम को लोग खिचड़ी, गुड़ और खीर का प्रसाद बांटते हैं।
  • तमिलनाडु: तमिलनाडु में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। यह एक चार दिवसीय त्योहार है। पहले दिन भोगी पोंगल, दूसरे दिन सूर्य पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है। इस दौरान लोग चावल के पकवान, रंगोली और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।
  • पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर गंगासागर में एक बड़ा मेला लगता है। इस दिन लोग स्नान करने के बाद तिल का दान करते हैं।
  • केरल: केरल में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को मकर विलक्कू के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग सबरीमाला मंदिर के पास मकर ज्योति के दर्शन करते हैं।
  • कर्नाटक: कर्नाटक में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन एलु बिरोधु नामक एक अनुष्ठान किया जाता है। इस अनुष्ठान में महिलाएं कम से कम 10 परिवारों के साथ एलु बेला का आदान-प्रदान करती हैं।
  • आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को तीन दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग पुरानी चीजों को फेंक कर नई चीजें लाते हैं। किसान अपने खेत, गाय और बैलों की पूजा करते हैं और तरह-तरह के व्यंजन खाए-खिलाए जाते हैं।
  • गुजरात: गुजरात में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। लोग पतंग उड़ाते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं और खिचड़ी का प्रसाद बांटते हैं।
  • महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को गुड़ पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग गन्ने का रस पीते हैं, सूर्य देव की पूजा करते हैं और तिल के लड्डू बांटते हैं।
  • ओडिशा: ओडिशा में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को माघी या सुकरांड के रूप में मनाया जाता है। लोग बाजे-गाजे के साथ जुलूस निकालते हैं और लड़कियां छऊ नृत्य करती हैं।
  • राजस्थान: राजस्थान में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को सक्रांत के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों को सजाते हैं, तिल के लड्डू बनाते हैं और हवन करते हैं।
  • उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग सुबह-सुबह नदी, तालाब या अन्य जलाशयों में जाकर स्नान करते हैं। स्नान के बाद लोग घर आकर खिचड़ी पकाते हैं। खिचड़ी में उड़द दाल, चावल और तिल का प्रयोग किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन खिचड़ी खाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

    खिचड़ी तैयार होने के बाद लोग एक-दूसरे को खिचड़ी का प्रसाद बांटते हैं। इस दिन लोग तिल के लड्डू, मूंगफली और गुड़ भी खाते हैं।

    मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मेले लगते हैं। इन मेलों में लोग तरह-तरह के सामान खरीदते हैं।

निष्कर्ष:

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। यह पर्व धार्मिक आस्था, सामाजिक सद्भाव और खुशियों का प्रतीक है। इस पर्व को समस्त भारत में अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, लेकिन हर प्रांत में इसका मूल भाव एक ही है – सूर्य के उत्तरायण का स्वागत करना और नए साल की शुरुआत को शुभ बनाना।

तो दोस्तों, यह थी मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) पर्व और इससे जुड़े धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में पूरी जानकारी। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो, तो कृपया इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। ऐसे ही खबरे पढ़ने के लिए niralatimes.com के साथ जुड़े रहे।

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